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बिहार चुनाव 2025: तकनीक से लैस, पारदर्शी मतदान की राह पर ECI



24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना, बिहार: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने आगामी बिहार विधानसभा आम चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। हाल ही में पाँच राज्यों के पाँच विधानसभा उपचुनावों में कई नई तकनीकी और प्रबंधन संबंधी पहलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है, जो आगामी बिहार चुनाव को पहले से कहीं अधिक डिजिटल, जवाबदेह और विश्वसनीय बनाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में परिकल्पित इन पहलों का उद्देश्य भारत में चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, सहभागी और मतदाता-केंद्रित बनाना है।
सफल परीक्षण, मजबूत संकेत
ये नई पहलें गुजरात की 24-कड़ी (SC) और 87-विसावदर, केरल की 35-नीलांबूर, पंजाब की 64-लुधियाना पश्चिम, और पश्चिम बंगाल की 80-कालिगंज विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के दौरान आजमाई गईं। कुल 1354 मतदान केंद्रों पर हुए इन सफल परीक्षणों ने बिहार के लिए एक मजबूत संकेत दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव अब और भी भरोसेमंद होंगे।
नई पहलों में क्या-क्या शामिल है?
चुनाव प्रक्रिया को अत्याधुनिक बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं:
* मोबाइल जमा करने की सुविधा: शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मतदाताओं, खासकर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और दिव्यांगों की सुविधा के लिए सभी मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन जमा करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसके लिए साधारण पिजनहोल बॉक्स या जूट बैग का उपयोग किया गया, और स्वयंसेवकों को तैनात किया गया ताकि यह प्रक्रिया सहज हो सके।
* उन्नत वोटर टर्नआउट (VTR) साझाकरण: पीठासीन अधिकारियों ने अब मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद ECINET ऐप के माध्यम से अंतिम मतदान डेटा (VTR डेटा) अपडेट करना सुनिश्चित किया। इससे पहले यह प्रक्रिया मैन्युअल थी और आंकड़ों को अपडेट होने में काफी समय लगता था। अब हर दो घंटे में अद्यतन मतदान प्रतिशत तुरंत उपलब्ध होगा, जिससे वास्तविक समय में सटीक जानकारी मिल सकेगी।
* 100% वेबकास्टिंग: पाँचों उपचुनाव वाली विधानसभा क्षेत्रों में लगभग सभी मतदान केंद्रों पर मतदान दिवस की गतिविधियों की शत-प्रतिशत वेबकास्टिंग की गई। रिटर्निंग ऑफिसर (RO), जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) स्तर पर गठित समर्पित निगरानी टीमों ने इस वेबकास्टिंग के माध्यम से पूरी प्रक्रिया पर कड़ी नज़र रखी, ताकि किसी भी अनियमितता को रोका जा सके।
* व्यक्तिगत मॉक पोल प्रशिक्षण: सभी पीठासीन अधिकारियों को व्यक्तिगत मॉक पोल प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे चुनाव प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझ सकें और कुशलता से संचालित कर सकें।
* मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SSR): लगभग दो दशकों में पहली बार उपचुनावों से पहले मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया गया, जिससे मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित हो सके।
बिहार के लिए आगे की राह
इन उपचुनावों में इन आधुनिक पहलों का सफल परीक्षण बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इन्हें बड़े पैमाने पर लागू करने का मार्ग प्रशस्त करता है। इससे न केवल मतदान प्रक्रिया अधिक जवाबदेह और पारदर्शी होगी, बल्कि यह मतदाताओं के लिए भी अधिक सुलभ, डिजिटल और भरोसेमंद बनेगी — जो लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित हो सकती है।

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