
24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना:बिहार की राजधानी पटना में आपराधिक घटनाओं में लगातार हो रही वृद्धि ने आम जनता के मन में भय का माहौल बना दिया है। चोरी, लूटपाट, और छिनैती जैसी वारदातें अब आम बात हो गई हैं, और तो और संगठित अपराधों का तेजी से ऊपर चढ़ रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं, और क्या उन्हें सच में किसी का संरक्षण प्राप्त है?
शहर में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। एक बड़ा वर्ग मानता है कि अपराधियों को कहीं न कहीं से दलालों का संरक्षण मिल रहा है, जिसके चलते वे बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। ये दलाल राजनैतिक गलियारों से लेकर पुलिस महकमे तक अपनी पकड़ रखते हैं, और अपराधियों को कानून के चंगुल से बचाने में मदद करते हैं।
यदि यह बात सच है, तो यह राजधानी की कानून-व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है।
वहीं, कुछ विश्लेषक बढ़ती आपराधिकता के लिए पुलिस की निष्क्रियता और लचर गश्ती व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका मानना है कि पर्याप्त पुलिस बल की कमी, रात्रि गश्ती का अभाव, और त्वरित कार्रवाई न होने से अपराधियों को अपने मंसूबों में कामयाब होने का मौका मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, नशे का बढ़ता प्रचलन और बेरोजगारी भी युवाओं को अपराध की ओर धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
हाल ही में हुई कई बड़ी आपराधिक वारदातों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता में विश्वास बहाल करने और अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस प्रशासन को न केवल अपनी गश्ती व्यवस्था को मजबूत करना होगा, बल्कि अपराधियों को संरक्षण देने वाले दलालों पर भी कड़ी कार्रवाई करनी होगी। यदि ऐसा नहीं होता है, तो राजधानी का शांतिपूर्ण माहौल भंग होता रहेगा, और आम नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस करते रहेंगे।