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न्यायालय के आदेश के बाद भी दबंगों ने घर से भगाया, पीड़ित न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर


24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना, बिहार: राजधानी पटना से सटे फतुहा थाना क्षेत्र के गोविंदपुर इलाके में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां न्यायालय के आदेश के बावजूद एक व्यक्ति को उसके ही घर से दबंगों ने मारपीट कर भगा दिया। यह घटना बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करती है, जिस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी लगातार आवाज उठाते रहे हैं।


मामला ब्रह्मानंद शाह नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जो बीते 36 सालों से अपने घर पर अवैध कब्जे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। वर्ष 1989 से कोर्ट में चल रहे इस मामले में हाल ही में ब्रह्मानंद के पक्ष में फैसला आया। कोर्ट ने न केवल उनके घर पर हुए अवैध कब्जे को निरस्त किया, बल्कि बेची जा चुकी रजिस्ट्री को भी रद्द कर दिया। इसके बाद, न्यायालय के आदेश पर एक मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की मौजूदगी में ब्रह्मानंद को उनके घर में दाखिल करवाया गया।
हालांकि, यह न्याय की जीत अल्पकालिक साबित हुई। घर में प्रवेश करने के मात्र दो से तीन दिनों के भीतर ही दबंगों ने ब्रह्मानंद को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया और ताला लगा दिया। पीड़ित ब्रह्मानंद अब पटना में पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कहीं से भी न्याय मिलता नहीं दिख रहा है।


पटना ग्रामीण एसपी कार्यालय पहुंचे ब्रह्मानंद ने मीडिया से बातचीत में अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि रामाशीष प्रसाद नामक व्यक्ति ने उनके घर पर कब्जा किया था, जिसके खिलाफ उन्होंने कोर्ट में केस किया था। बाद में रामाशीष ने यह घर एक दबंग को बेच दिया। ब्रह्मानंद ने बताया, “जब कोर्ट से मुझे डिग्री मिली और मजिस्ट्रेट व पुलिस ने मुझे घर के अंदर करवा दिया, उसके 2 दिन बाद जब हम फिर उसी घर में पंखा लगाने गए तो दबंगों ने मुझे मारपीट कर भगा दिया और घर में ताला लगा दिया है।”
पीड़ित ने आरोप लगाया कि फतुहा थाना जाने पर उन्हें कोई मदद नहीं मिली। डीएसपी से मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। सीनियर एसपी के पास जाने पर उन्होंने फतुहा थाने को लिखा, लेकिन उसके बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीण एसपी के कार्यालय पहुंचने पर भी उनसे मुलाकात नहीं हो पाई।
हालांकि, ग्रामीण एसपी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है। उन्होंने फतुहा थाने को सूचित कर दिया है कि जिन लोगों ने घर से निकाला है, उन पर रंगदारी का केस करने का आदेश दे दिया गया है।
यह घटना न्यायपालिका के आदेशों के सम्मान और कानून के शासन पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। जब कोई व्यक्ति न्याय के लिए न्यायालय की शरण में जाता है और न्यायालय के आदेश के बाद भी उसे इंसाफ नहीं मिलता, तो आम जनता का कानून व्यवस्था पर से विश्वास उठना स्वाभाविक है। अब देखना यह है कि पीड़ित ब्रह्मानंद को कब तक न्याय मिल पाता है और क्या दबंगों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती है।

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