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बिहार बना सिनेमा का नया हब: क्लैप बोर्ड की गूंज से गुलज़ार हुई ज्ञानभूमि, 14 फिल्मों को मिली शूटिंग की अनुमति




24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना, 20 मई: “लाइट, कैमरा, एक्शन…” अब ये शब्द सिर्फ मुंबई या हैदराबाद तक सीमित नहीं रह गए हैं। भारत की ज्ञान-भूमि बिहार, जो सदियों से शिक्षा, साहित्य और संस्कृति का केंद्र रही है, अब धीरे-धीरे सिनेमा की पटकथा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनती जा रही है। राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नई और प्रगतिशील फिल्म पॉलिसी के कारण बिहार, फिल्म निर्माताओं के लिए शूटिंग का एक नया और पसंदीदा हॉटस्पॉट बन गया है। भोजपुरी और हिंदी फिल्मों के साथ-साथ मैथिली, मगही और यहां तक कि अंग्रेजी फिल्मों तक की शूटिंग अब बिहार की सुरम्य लोकेशन्स पर हो रही है।


तेजी से बढ़ रहा फिल्म निर्माण का ग्राफ
फिलहाल राज्य में कुल 14 फिल्मों को शूटिंग की अनुमति मिल चुकी है, जिनमें से कई की शूटिंग सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है और कुछ पर कार्य तेजी से जारी है। इस बढ़ती गतिविधि से न सिर्फ राज्य के फिल्म निर्माण क्षेत्र को अद्वितीय प्रोत्साहन मिला है, बल्कि इससे स्थानीय पर्यटन और रोजगार को भी एक नया और मजबूत बल मिला है। यह सिनेमाई उत्थान यहीं नहीं रुक रहा है; राज्य में बहुत जल्द ही एक बहुप्रतीक्षित डॉक्यूमेंट्री एवं शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल का आयोजन होने वाला है। इसके लिए कई बेहतरीन फिल्मों का चुनाव हो चुका है और कई अन्य फिल्मों का चुनाव अभी भी जारी है, जो बिहार की रचनात्मक क्षमता को प्रदर्शित करेगा।
बिहार में आकार ले रहे स्थायी फिल्म स्टूडियो और सेट
बिहार अब सिर्फ शूटिंग लोकेशन्स तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थायी फिल्म निर्माण संबंधी संरचनाएं भी तेजी से विकसित कर रहा है।
* वाल्मीकी नगर में राज्य का पहला फिल्म सेट आकार ले रहा है, जहां वर्तमान में सागर श्रीवास्तव की हिंदी फिल्म ‘टिया’ की शूटिंग प्रगति पर है। यह सेट भविष्य में कई अन्य परियोजनाओं के लिए एक स्थायी सुविधा प्रदान करेगा।
* इसके अलावा, जहानाबाद के काको स्थित पाली में प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक हैदर काजमी ने अपने नाम का एक अत्याधुनिक स्टूडियो स्थापित किया है, जहां इन दिनों कई फिल्मों की शूटिंग चल रही है। यह स्टूडियो बिहार के फिल्म उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है।
ग्रामीण से शहरी तक, बिहार के जिलों में गूंज रही है ‘एक्शन’ की आवाज
फिल्मों की शूटिंग बिहार के विभिन्न जिलों में फैल चुकी है, जिससे इन क्षेत्रों को सीधा लाभ मिल रहा है। प्रमुख शूटिंग स्थलों में नालंदा, नवादा, गया, पटना, बगहा, रोहतास, वैशाली, सीतामढ़ी, दरभंगा और जहानाबाद शामिल हैं। इन जिलों में फिल्म निर्माण गतिविधियों से स्थानीय व्यवसाय और पर्यटन को प्रोत्साहन मिल रहा है, जिससे इन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
पंकज त्रिपाठी की फिल्म ‘ओह माय डॉग/सेनापति’ की शूटिंग संपन्न
हाल ही में, बॉलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता पंकज त्रिपाठी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘ओह माय डॉग’/ ‘सेनापति’ की शूटिंग पटना के विभिन्न आकर्षक लोकेशनों पर सफलतापूर्वक संपन्न हो चुकी है। फिल्म निर्माण कंपनी जार पिक्चर एलएलपी ने इस भव्य सहयोग और सुविधा के लिए बिहार फिल्म निगम के प्रति हार्दिक धन्यवाद भी व्यक्त किया है।
फिल्म शिक्षा और प्रशिक्षण में भी बिहार का कदम
बिहार की नई फिल्म नीति केवल शूटिंग और निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह फिल्म शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण और दूरगामी कदम उठा रही है।
* हाल ही में बिहार दिवस के अवसर पर, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध अभिनय प्रशिक्षक हेमंत माहौर द्वारा एक विशेष ‘मास्टर क्लास’ का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया, जिससे उनकी अभिनय प्रतिभा को निखारने का अवसर मिला।
* इसके साथ ही, पुणे फिल्म संस्थान, सत्यजीत रे फिल्म संस्थान तथा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्ययनरत बिहार के मेधावी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना भी प्रारंभ की गई है। अभी तक एक होनहार छात्र आशीष कुमार को इस योजना के तहत छात्रवृत्ति प्रदान की जा चुकी है और अन्य कई आवेदनों की प्रक्रिया भी तेजी से जारी है, जो बिहार के युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद करेगी।
आकर्षक अनुदान योजना: 4 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता
बिहार फिल्म पॉलिसी का एक सबसे बड़ा आकर्षण इसकी उदार अनुदान योजना है। इस नीति के तहत, यदि कोई फिल्म अपनी कुल शूटिंग का 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बिहार में करती है, तो उसे राज्य सरकार की ओर से 4 करोड़ रुपये तक का भव्य अनुदान प्रदान किया जाता है। इस वित्तीय प्रोत्साहन ने कई बड़े और छोटे फिल्म निर्माताओं को बिहार की ओर आकर्षित किया है, जिससे यहां फिल्म निर्माण की संभावनाओं को पंख लगे हैं।

बिहार में शूटिंग की मंजूरी प्राप्त प्रमुख फिल्में:
यहां उन 14 फिल्मों की सूची दी गई है जिन्हें अब तक बिहार में शूटिंग की मंजूरी मिली है:
* संघतिया – भोजपुरी
* द लांग जर्नी होम – अंग्रेजी एवं भोजपुरी
* बिहार का जलवा – हिंदी (डॉक्यूमेंट्री)
* सुहागिन के सेनूर – भोजपुरी
* लाइफ लीला – हिंदी (वेब सीरीज)
* जिनगी बीतवनी तोहरे प्यार में – भोजपुरी
* घर का बंटवारा – भोजपुरी
* नारी – भोजपुरी
* रजनी की बारात – हिंदी
* ओह माय डॉग/ सेनापति – हिंदी
* टिया – हिंदी
* सुगनी – मगही
* छठ – भोजपुरी
* पेन ब्रश – हिंदी

बिहार: सिनेमा की नई प्रयोगशाला
बिहार में फिल्म उद्योग का यह नवोदय न केवल रचनात्मक अभिव्यक्ति का एक नया और सशक्त माध्यम बन रहा है, बल्कि यह युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर, तकनीकी प्रशिक्षण और पर्यटन क्षेत्र में भी अभूतपूर्व रास्ते खोल रहा है। स्पष्ट है, अब बिहार सिर्फ साहित्य और संस्कृति की भूमि नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के क्षितिज पर एक नई और जीवंत प्रयोगशाला के रूप में तेजी से उभर रहा है, जो भविष्य में कई ऐतिहासिक फिल्मों का गवाह बनेगा।
इस संबंध में, कला संस्कृति विभाग के सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने इस पहल पर अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “हम बिहार को एक सशक्त फिल्म हब के रूप में विकसित करने हेतु संकल्पित हैं। राज्य सरकार की 4 करोड़ रुपये तक की अनुदान योजना इस दिशा में एक निर्णायक कदम है। बिहार हमेशा संभावनाओं की धरती रही है और यह फिल्म नीति इन संभावनाओं को साकार करने में मदद कर रही है। मैं सभी फिल्म निर्माताओं, तकनीकी विशेषज्ञों, कलाकारों एवं सांस्कृतिक कर्मियों से आग्रह करता हूं कि वे बिहार की भूमि पर आकर अपने रचनात्मक सपनों को साकार करें और इस उभरते हुए फिल्म उद्योग का हिस्सा बनें।”

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