24CITYLIVE:बिहार और झारखंड दो ऐसे राज्य हैं जहां कैंसर के लिए आवश्यक सुविधाओं की बहुत ज्यादा कमी है. यही कारण है कि बिहार और झारखंड में कैंसर से होने वाली मौतें अपेक्षाकृत ज्यादा है.
वहीं इन दोनों राज्यों में कैंसर के प्रति जागरुकता का अभाव और समय पर इसकी पहचान न हो पाना भी प्रमुख वजह है. महावीर कैंसर संस्थान और शोध केंद्र के मुताबिक बिहार और झारखंड में 2.5 लाख से ज्यादा कैंसर के मरीज हैं. हर साल इन दोनों राज्यों से 80 हजार कैंसर के नए मामले आ रहे हैं. हालांकि पटना स्थित मेदांता के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन प्रसाद के मुताबिक बिहार में अकेले 1.20 लाख कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं.यहां कैंसर के कारण होने वाली मौत की दरें भी बहुत ज्यादा है.
क्या है कैंसर के मामले में तेजी की वजह
बिहार झारखंड मेडिकल फोरम के सदस्य और कैंसर विशेषज्ञ डॉ.अंशुमान कुमार ने कहा कि बिहार-झारखंड में जो लोग निचले पीढ़ी के हैं, वंचित हैं, उन्हें इसका सबसे ज्यादा खतरा है. वे कैंसर के लक्षण को शुरुआत में नहीं पहचान पाते और जब आसपास किसी से सलाह भी लेते हैं तो उन्हें भी इसक जानकारी नहीं होती. इसके अलावा हेल्थकेयर सर्विस का अभाव भी इस बीमारी को बढ़ाने में और ज्यादा योगदान देते हैं. उन्होंने कहा कि वंचित क्षेत्रों में शुरुआती पहचान और रोकथाम बेहद जरूरी है.इसके लिए कैंसर के प्रति जागरुकता लाना हम सबका कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि हमारी संस्था बिहार-झारखंड में स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बेहतर बनाने में प्रभावशाली योगदान दे रहा है और यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि बिहार और झारखंड के हर कोने तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचे. बिहार झारखंड मेडिकल फोरम के सदस्य डॉ.राकेश नाथ प्रसाद ने कहा कि कैंसर या नॉन-कम्युमिकेबल डिजीज के मामले तेजी इसलिए आ रही है क्योंकि बिहार-झारखंड में बुनियादी ढाचे में बहुत कमी है. ऐसे में वहां बीमारियों की प्रारंभिक पहचान, बीमारी की रोकथाम और मजबूत उपचार सुविधाओं के लिए मजबूत प्रणाली का निर्माण करना होगा. साथ ही लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता फैलानी होगी.
कैंसर के शुरुआती लक्षण
1. थकान-जॉन हॉपकिंस मेडिकल स्कूल के मुताबिक लगातार थकान हो तो इसे हल्के में न लें. अगर कामकाज के बाद थकान होती है तो यह आम बात है लेकिन रात तक आते-आते रिलेक्स होने पर यह ठीक भी हो जाता है लेकिन जब थकान लगातार रहने लगे. सुबह उठते ही शुरू हो जाए तो इसे गंभीरता से लें क्योंकि यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. थकान के कई कारण होते हैं इसलिए जरूरी भी नहीं कि थकान से कैंसर ही हो, इसलिए अच्छे डॉक्टर से दिखाएं ताकि पता लग सके कि वास्तव में है क्या.
बुखार-सर्दी-जुकाम, फ्लू आदि में बुखार लगना समान्य बात है लेकिन बार-बार बुखार आना शुभ संकेत नहीं है. यह कैंसर के लक्षण भी हो सकते हैं. अगर बुखार खासकर रात में आता है और इसके साथ पसीना भीआता है और आपको कोई भी इंफेक्शन नहीं है तो यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे मामलों में तुरंत अच्छे डॉक्टर से दिखाना जरूरी है.
दर्द-दर्द के कई कारण हैं. जरूरी नहीं हर दर्द कैंसर ही हो. लेकिन अगर कोई दर्द लगातार हो रहा है तो इसका मतलब कि कुछ न कुछ अंदर की बीमारी है. यह ट्यूमर के कारण भी हो सकता है. कैंसर कोशिकाएं जो केमिकल रिलीज करती है, उससे भी दर्द हो सकता है. इसलिए इसे नजरअंदाज न करें. डॉक्टर से दिखाएं.
स्किन में बदलाव-आमतौर पर जब जॉन्डिस की बीमारी होती है तो स्किन के रंग पीले पड़ जाते हैं लेकिन अगर बिना वजह स्किन के किसी हिस्से में रंग बदलने लगे. वहां बॉर्डर की तरह घिरने लगे, स्किन ज्यादा डार्क हो जाए या मस्सा निकलने लगे तो यह कैंसर के संकेत हो सकते हैं.
तिल के रंग में बदलाव-अगर शरीर के किसी हिस्से में तिल है और तिल का रंग, रूप या आकार बदलने लगे तो यह भी कैंसर के संकेत हो सकते हैं. ऐसे मामलों में तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए.
आवाज में भारीपन-अगर आवाज में अचानक भारीपन आने लगे, खाना निगलने में परेशानी है, गले में दर्द हो और यह दवा से भी ठीक न हो, तो इसे गंभीरता से लें. ऐसे लक्षण ओरल कैंसर के मजबूत संकेत हैं.
बिना वजह वजन में कमी-अगर बिना वजह वजन में अचानक कमी होने लगे तो यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. इसलिए ऐसे मामलों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.