
24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना 13 जून: बिहार पुलिस मुख्यालय ने राज्य में पुलिस से जुड़े मामलों की सुनवाई (ट्रायल) में तेज़ी लाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब दिल्ली पुलिस और सीबीआई की तर्ज पर, प्रदेश के सभी न्यायालयों और थानों में विशेष रूप से ‘कोर्ट प्रभारी’ और ‘नायब’ की तैनाती की जाएगी। इस महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी), अपराध अन्वेषण ब्यूरो (सीआईडी) पारसनाथ ने गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
समन-वारंट के त्वरित तामील से मिलेगी गति
एडीजी पारसनाथ ने बताया कि ‘कोर्ट प्रभारी’ और ‘नायब’ की मुख्य जिम्मेदारी न्यायालयों से जारी होने वाले समन, वारंट और कुर्की जैसे आदेशों का समय पर पालन सुनिश्चित करना होगा। उनका कहना था कि इससे पुलिस से संबंधित मुकदमों (कांडों) के ट्रायल में उल्लेखनीय तेज़ी आएगी। यह नई व्यवस्था राज्य के कुल 1870 न्यायालयों में लागू की जाएगी।
पटना में सफल प्रयोग के बाद राज्यव्यापी विस्तार
इस नई पहल की शुरुआत पटना में एक सफल प्रयोग के बाद हो रही है। पारसनाथ ने बताया कि मुकदमों के समय पर निपटारे और गवाहों को कोर्ट में समय पर पेश करने के उद्देश्य से मार्च महीने से पटना में ‘कोर्ट प्रभारी’ और ‘कोर्ट नायब’ की व्यवस्था को प्रायोगिक तौर पर लागू किया गया था। इस नई मॉनिटरिंग व्यवस्था के कारण, पिछले साल की तुलना में इस अवधि में तीन गुना अधिक गवाहों को कोर्ट में पेश किया जा सका। पटना में इस प्रयोग की सफलता के बाद, अब इसे पूरे राज्य के सभी थानों में लागू करने की तैयारी है।
क्या होगी ‘कोर्ट प्रभारी’ और ‘नायब’ की भूमिका?
सीआईडी के एडीजी ने नई व्यवस्था की रूपरेखा स्पष्ट करते हुए बताया:
* ‘कोर्ट प्रभारी’: इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी को ‘कोर्ट प्रभारी’ बनाया जाएगा। इनका मुख्य कार्य विभिन्न स्तर के न्यायालयों के बीच समन्वय स्थापित करना होगा।
* ‘नायब’: प्रत्येक न्यायालय और थानों में सिपाही स्तर के पदाधिकारी को ‘कोर्ट नायब’ बनाया जाएगा। इनका काम न्यायालय के आदेशों को समय पर थाना स्तर तक पहुंचाना होगा।
मॉनिटरिंग होगी आसान, बढ़ेगी निपटारे की रफ्तार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद सीआईडी के आईजी दलजीत सिंह ने बताया कि नई व्यवस्था से न्यायालय द्वारा जारी होने वाले आदेशों को कोर्ट के अलावा थाना स्तर पर भी दर्ज (मेंटेन) रखा जाएगा। इससे मुकदमों की मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी और कोर्ट के आदेशों का समय पर पालन होने से मामलों के निपटारे की गति भी बढ़ेगी। दलजीत सिंह के अनुसार, इस साल अब तक विभिन्न मुकदमों में 17,207 पुलिसकर्मियों, 3,318 डॉक्टरों और 49,515 अन्य साक्षियों की गवाही कराई गई है।
हर जिले में स्पीडी ट्रायल के लिए शाखा गठित
एडीजी पारसनाथ ने यह भी जानकारी दी कि जिन मामलों को स्पीडी ट्रायल के तहत चलाया जा रहा है, उनके लिए हर जिले में डीएसपी से सब इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एक विशेष शाखा गठित है। इस साल अप्रैल महीने में 849 नए मुकदमों का चयन स्पीडी ट्रायल के लिए किया गया है। इनमें सबसे अधिक 40 मामले पटना जिले के हैं, जबकि गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुरपुर और दरभंगा जिले के 30-30 मामले शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आठ छोटे जिलों से 10-10 मामले और शेष बचे 31 जिलों से 20-20 मामलों का चयन स्पीडी ट्रायल के लिए किया गया है। इन मामलों में मुख्य रूप से डकैती, लूट, फिरौती, आर्म्स एक्ट और मद्य निषेध से संबंधित मामले शामिल हैं।
यह पहल बिहार में न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने और लंबित मुकदमों के बोझ को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।