24CITYLIVE/पटना सिटी: श्रीकृष्ण की लीला अपरंपार है। उनकी लीलाओं को समझना मुश्किल है। उनके पास शस्त्र और शास्त्र दोनों है। एक तरफ उनके हाथ में वंशी होती है, तो दूसरी ओर सुदर्शन चक्र। वे प्यार भी उड़ेलते हैं, तो धर्म की हानि करने बाले का संहार भी करते हैं। श्रीगीता में अनेक बातों का गुण व रहस्य छिपा है। इसके पढ़ने से काफी ज्ञान की प्राप्ति होती है। ये बातें आरएसएस के बिहार-झारखंड के सर कार्यवाह डॉ मोहन सिंह ने गीता जयंती के मौके पर श्रीसनातन धर्म सभा भवन में आयोजित गीता जयंती समारोह के दौरान कही।अध्यक्षता डॉ त्रिलोकी प्रसाद गोलवारा ने की। जबकि मंच संचालन संयोजक संजीव कुमार यादव ने किया।
उन्होंने आए सभी अतिथियों का स्वागत शॉल, मोड़मुकुट बांसुरी एवं गीता ग्रंथ भेंट कर की। इससे पहले दीप प्रज्ज़वलन कर समारोह का उद्घाटन करते हुए पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि सनातन धर्म आखिर क्या है? उन्होंने भागवत प्रसंग पर कहा कि आखिर श्रीकृष्ण पांडवों की ओर क्यों हो गए, वह कौरवों की ओर क्यों नहीं गए। भगवान सैदेव धर्म के पक्ष में खड़ा होते है, जो धर्म-कर्म-कर्तव्य का रक्षक है वह कृष्ण है। जब-जब धर्म की हानि होती है रक्षक के रूप में ईश्वर अवतरित होते है जैसी कई प्रसंगों पर उन्होंने अपने विचार रखे। स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने गीता के पंद्रहवें श्लोक का वाचन करते हुए उसका अर्थ भी बताया।
उन्होंने रामायण और गीता का तुलनात्मक विवेचन करते हुए दोनों के बारे में खास बातों का भी जिक्र किया। वहीं गीता जयंती पर आयोजित लेख प्रतियोगिता में प्रथम द्वितीय तृतीय एवं समस्त प्रतिभागियों को गीता ग्रंथ,मोड़मुकुट बांसुरी एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन शिव प्रसाद मोदी ने किया। समारोह में डॉ एसए कृष्णा, आत्मा बगला, कृष्ण अग्रवाल, मोहन चतुर्वेदी, भगवती प्रसाद मोदी, विजय कुमार यादव, मनोज कुमार, ललित अग्रवाल रतनदीप राय, विजय मिश्रा, नैयर इक़बाल, राजीव गंगोल, राजेश शुक्ला तिल्लू मौजूद थे।