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देश के हितों में तकनीकी रूप से उन्नत सेना की जरूरी, रक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी पर दिया जोर

24CityLive: नईदिल्ली/PTI: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पर चीन और पाकिस्तान से मिल रही चुनौतियों का परोक्ष जिक्र करते हुए गुरुवार को कहा कि सीमाओं पर दोहरे खतरे के मद्देनजर भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में प्रगति पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने देश के लिए रक्षा प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए गहन अनुसंधान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

रक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी पर क्यों दिया जोर?

एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत जैसे देश के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपनी सीमाओं पर दोहरे खतरे का सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमारे लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि आज हम दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में शामिल हैं, हमारे देश की सेना की बहादुरी की दुनियाभर में चर्चा है। ऐसी स्थिति में यह अनिवार्य बन जाता है कि हमारे पास देश के हितों की रक्षा करने के लिए प्रौद्योगिकी के स्तर पर अत्याधुनिक सेना हो।

डीआरडीओ और शिक्षाविदों के बीच सहयोग का किया आह्वान

मालूम हो कि रक्षा मंत्री का यह बयान पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी विवाद और पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने की पृष्ठभूमि में आया। सिंह ने प्रौद्योगिकी के स्तर पर वांछित तरक्की सुनिश्चित करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और शिक्षाविदों के बीच सहयोग का भी आह्वान किया।

अनुसंधान इस क्षेत्र में विकास करने का एकमात्र तरीका- रक्षा मंत्री

उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में विकास करने का एकमात्र तरीका अनुसंधान है। यह समय की जरूरत है कि डीआरडीओ और शिक्षाविद मिलकर काम करें।” सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि यह साझेदारी जितनी मजबूत होगी, भारत का अनुसंधान क्षेत्र भी उसी गति से विकसित होगा। डीआरडीओ और शिक्षा जगत दोनों के वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ यहां बैठे हैं।

हमारे सामने कई बड़ी चुनौती- राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि आज हम अपने सामने कई बड़ी चुनौतियां देख रहे हैं। जब देश की रक्षा की बात आती है तो ये चुनौतियां और व्यापक हो जाती हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी संस्थान इन चुनौतियों से अकेले नहीं निपट सकता। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज जो हम कर सकते हैं- वह है सामूहिक प्रयास और साझेदारी।”

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