
24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना:9 मई, 2025 – भारत की धरती ने कई वीर योद्धाओं को जन्म दिया है, जिनमें महाराणा प्रताप का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। मेवाड़ के इस महान राजा ने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता और गौरव की रक्षा के लिए जीवन भर संघर्ष किया। उनकी वीरता और स्वाभिमान की गाथा आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करती है। आज, 9 मई को उनकी 485वीं जयंती है, और इस अवसर पर उनके अद्वितीय योगदान को स्मरण करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुम्भलगढ़ में हुआ था। वे मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के 13वें राजा थे। बचपन से ही उनमें साहस, नेतृत्व और देशभक्ति के गुण विद्यमान थे। 1572 में अपने पिता उदय सिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद, उन्होंने मेवाड़ की बागडोर संभाली। उस समय, मुगल बादशाह अकबर अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के तहत राजपूताना के अन्य राज्यों को अपने अधीन कर रहा था।
महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार करने से दृढ़तापूर्वक इनकार कर दिया। उन्होंने अपनी छोटी सी सेना और सीमित संसाधनों के बावजूद मुगल साम्राज्य की विशाल सेना का डटकर मुकाबला किया। 1576 में हुआ हल्दीघाटी का युद्ध भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपनी अद्भुत वीरता और युद्ध कौशल का परिचय दिया, हालांकि उन्हें सीमित संसाधनों के कारण रणनीतिक रूप से पीछे हटना पड़ा।
हल्दीघाटी के बाद भी महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखा। उन्होंने छापामार युद्ध की रणनीति अपनाई और मुगल सेना को लगातार परेशान किया। उन्होंने अपने खोए हुए क्षेत्रों को धीरे-धीरे वापस जीतना शुरू कर दिया। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और अटूट संकल्प के बल पर, उन्होंने मेवाड़ के एक बड़े हिस्से को मुगलों के नियंत्रण से मुक्त करा लिया।

महाराणा प्रताप न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि एक कुशल प्रशासक और अपनी प्रजा के प्रति समर्पित शासक भी थे। उन्होंने कृषि और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। 19 जनवरी, 1597 को अपनी मृत्यु तक, उन्होंने मेवाड़ की स्वतंत्रता और गौरव की रक्षा के लिए अथक प्रयास किया।
महाराणा प्रताप का जीवन त्याग, बलिदान और देशभक्ति का एक अद्वितीय उदाहरण है। उनका शौर्य, स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रति उनका अटूट प्रेम आज भी हर भारतीय के हृदय में जीवित है। उनका संघर्ष हमें सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज उठानी चाहिए और अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
मुख्य बातें:
* आज, 9 मई, 2025 को उनकी 485वीं जयंती है।
* महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था।
* मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के 13वें राजा थे।
* मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार करने से इनकार किया।
* 1576 का हल्दीघाटी का युद्ध उनकी वीरता का प्रतीक है।
* छापामार युद्ध की रणनीति अपनाकर मुगलों को चुनौती दी।
* मेवाड़ के एक बड़े हिस्से को मुगलों से मुक्त कराया।
* 19 जनवरी, 1597 को उनका निधन हुआ।
* त्याग, बलिदान और देशभक्ति के प्रतीक।



