यूपी’ अंकित मर्डर केस:अंकित ने जिसे जीजा कहा उसी ने जान ली, बात करते समय दबाया गला, फिर टुकड़े कर पन्नी में भरे
24CityLive: मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पीएचडी के छात्र अंकित खोखर की हत्या के आरोप में हिरासत में लिया गया उसका मकान मालिक उमेश शर्मा (40) पहले तो पुलिस को गुमराह करता रहा, लेकिन सख्ती से पूछताछ में उसने पूरी साजिश के बारे में बताया।
उसने कहा कि उसे जैसे ही पता चला कि अंकित ने पैतृक संपत्ति एक करोड़ में बेची है, वैसे ही उसने अंकित की हत्या की साजिश रच ली। उसने यह भी सोच रखा था कि खाते से पूरे एक करोड़ मिलने के बाद अंकित के दोस्तों और जानकारों से झूठ बोल देगा कि वह तनाव में था और अचानक घर खाली कर बहुत दूर चला गया।
उससे हुई पूछताछ के हवाले से पुलिस ने बताया कि उमेश का साला प्रदीप और अंकित का गांव एक ही है। इस नाते अंकित प्रदीप को भाई कहता था। प्रदीप के साथ ही वह छह महीने पहले उमेश के घर आया था। उमेश को उसने बताया कि वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। माता-पिता का निधन हो चुका है। उमेश ने उससे कहा कि वह उसके मकान में रह सकता है। अंकित किराये पर रहने लगा। उमेश ने साजिश के तहत अंकित से नजदीकी बढ़ाई।
इसलिए, अंकित उससे अपनी हर बात साझा करने लगा। यह भी बता दिया कि वह पैतृक संपत्ति बेचना चाहता था। इसे बिकवाने में उमेश और प्रदीप साथ रहे। जैसे ही अंकित को संपत्ति का एक करोड़ मिला और उसने इसे खाते में जमा कराया, वैसे ही उमेश ने उसकी हत्या करने की साजिश रच ली। इसी साजिश के तहत उसने उससे 40 लाख रुपये उधार लिए। कहा कि बिजनेस करना है। अंकित को उस पर भरोसा था, इसलिए दे दिए। लेकिन, उमेश का इरादा पूरे एक करोड़ रुपये हासिल करने का था। इसलिए, हत्या की साजिश को छह अक्तूबर को अंजाम दिया।
बात करते दबाया गला, आरी से किए टुकड़े
उमेश ने बताया कि वह छह अक्तूबर को अंकित के कमरे में गया। वह पढ़ाई कर रहा था। उससे बात करता रहा। इसी दौरान उसका गला दबा दिया। वह कुछ देर तक तड़पा और फिर उसके प्राण निकल गए। उसने पहले से सोच रखा था कि शव के टुकड़े करके फेंकने हैं। इसके लिए छह अक्तूबर को ही आरी खरीदकर लाया था। शव के तीन टुकड़े किए। इन्हें सफेद पन्नी में पैक किया और गाड़ी में रखा। उसके जाने के बाद पत्नी ने कमरे से खून साफ किया।
जिसे जीजा कहा, उसने ही जान ली
अंकित उमेश को जीजा कहता था। वह उसकी पत्नी को बहन मानता था। प्रदीप के साथ पहले भी घर आ चुका था। उसने पिछली रक्षाबंधन को उमेश की पत्नी से राखी भी बंधवाई थी। प्रदीप को वह भाई की तरह मानता था। उसे यह पता ही नहीं चला कि जिन लोगों पर सबसे ज्यादा भरोसा कर रहा है, वे ही उसकी जान के दुश्मन बनेंगे।