
24CITYLIVE/पूर्णिया, बिहार: पूर्णिया जिले के सरसी थाने में कार्यरत 28 वर्षीय कार्यपालक सहायक ललित कुमार की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने सनसनी फैला दी है. मृतक के परिजनों ने इसे आत्महत्या मानने से साफ इनकार करते हुए इसे सुनियोजित हत्या करार दिया है. उनका आरोप है कि ललित थाने के कुछ ऐसे राज जानता था, जिसकी वजह से उसे रास्ते से हटा दिया गया. इन गंभीर आरोपों के बाद, पूर्णिया के एसपी कार्तिकेय शर्मा ने तुरंत एक्शन लेते हुए सरसी थानाध्यक्ष मनीष चंद्र यादव को लाइन हाजिर कर दिया है, और उनकी जगह अभय रंजन को नया थानाध्यक्ष बनाया गया है.
बनमनखी के एसडीपीओ सुबोध कुमार ने बताया कि मृतक के बड़े भाई के आवेदन पर सरसी थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष मनीष चंद्र यादव और एसआई आयुष राज के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा.
परिजनों का हंगामा और गहरे जख्मों के निशान
रविवार की सुबह जीएमसीएच के पोस्टमार्टम हाउस के बाहर ललित के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. वे सरसी थानाध्यक्ष मनीष चंद्र यादव, एसआई आयुष राज और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग पर अड़े थे. काफी समझाने-बुझाने के बाद स्थिति शांत हुई. इस दौरान सदर थानाध्यक्ष अजय कुमार, सहायक खजांची थानाध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार, फणीश्वरनाथ रेणु टीओपी प्रभारी शबाना आजमी सहित कई पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे.
ललित के शव पर मिले गहरे जख्म, खासकर उसकी कमर से लेकर घुटने तक, परिजनों के आरोपों को बल दे रहे हैं. उनका दावा है कि ललित को लोहे के रॉड से बुरी तरह पीटा गया था, जिससे उसकी जान गई. ललित के भाई पप्पू कुमार, लाल बहादुर और पंकज कुमार का कहना है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि एक साजिश का नतीजा है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि शनिवार को शाम तक ड्यूटी पर न पहुंचने के बावजूद पुलिस ने ललित का पता क्यों नहीं लगाया, जबकि उसका सरकारी क्वार्टर थाने से महज 100 मीटर दूर था.
पोस्टमार्टम तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड द्वारा मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कराया गया और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई. इस दुखद खबर सुनकर पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव, पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा, पूर्व मंत्री सह कसबा विधायक अफाक आलम, पूर्व विधायक प्रदीप दास जैसे कई नेता भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और परिजनों से मिलकर सांत्वना दी.
अंतिम फोन कॉल और परेशानी का जिक्र
मृतक के भाई पप्पू कुमार ने बताया कि ललित रोज घर पर फोन करता था, लेकिन शनिवार को सुबह से दोपहर तक उसने फोन नहीं किया. जब उन्होंने ललित के मोबाइल पर फोन किया तो लगातार रिंग होने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला. शाम को जब वे सरसी थाना पहुंचे तो ललित के क्वार्टर का दरवाजा बंद था. दरवाजा धक्का देते ही खुल गया, जहां उन्होंने ललित को फंदे से लटका पाया, लेकिन उसके पैर जमीन से लगे हुए थे. तत्काल पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद एफएसएल और डॉग स्क्वायड टीम ने घटनास्थल की जांच की, हालांकि कोई खास सुराग नहीं मिला.
परिजनों ने बताया कि 30 मई को शाम 4 बजे ललित को थाना में काफी प्रताड़ित किया गया था, जिसके बाद वह अपने क्वार्टर गया और अगले दिन उसका शव मिला. ललित डेढ़ साल से सरसी थाना में कार्यरत था और अक्सर परेशान रहता था. उसने परिजनों को बताया था कि सरसी थानाध्यक्ष मनीष चंद्र यादव और एसआई आयुष राज उसे बेवजह परेशान करते थे और वह नौकरी छोड़ना चाहता था.
उच्चस्तरीय जांच की मांग
28 वर्षीय ललित कुमार अविवाहित था और जलालगढ़ थाना के भठेली गांव का रहने वाला था. उसके पिता परमेश्वर लाल दास राजस्व कर्मी थे. इस घटना से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. परिजनों के अलावा कार्यपालक सहायक सेवा संघ के जिलाध्यक्ष मनु कुमार ने भी इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने लाइन हाजिर किए गए थानाध्यक्ष मनीष चंद्र यादव को तुरंत निलंबित कर विभागीय कार्रवाई की भी मांग की है.