24CityLive:हरियाणा में फतेहाबाद की एक कोर्ट ने रेप के आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. कार्ट ने पाया कि एफआईआर दर्ज करने में करीब ढाई महीने की देरी हुई थी. अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश बलवंत सिंह (Balwant Singh) की फास्ट ट्रैक विशेष अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ मामले को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है. आदेश में कहा गया है कि, “संदेह का लाभ देते हुए, आरोपी को उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया जाता है.”
गौरतलब है कि पीड़िता ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि बलविंदर ने 5 और 6 अप्रैल, 2021 को उसके साथ रेप किया था. पीड़िता के मुताबिक घटना के वक्त उसका पति गांव से बाहर गया हुआ था और उसके बच्चे सो रहे थे. शिकायत में महिला ने बताया कि रेप से पहले बलविंदर ने उसे पकड़कर एक कमरे में खींच लिया. साथ ही यह भी आरोप लगाया कि बलविंदर ने घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी थी. बलविंदर के खिलाफ जून 2021 में टोहाना सिटी थाने में मामला दर्ज कराया गया था.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से मिली थी आरोपी को अग्रिम जमानत
पुलिस ने बलविंदर पर आईपीसी की धारा 376 (2) , 450 और 506 के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में आरोपी को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह आरोपी को फंसाने के लिए महज एक मनगढ़ंत कहानी है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा हुआ था तो शिकायत दर्ज कराने में ढाई महीने की देरी क्यों की गई? एक सक्षम महिला होने के नाते ऐसा मुमकिन नहीं है कि आरोपी ने एक हाथ से पीड़िता का मुंह बंद कर दिया हो और महिला के साथ जबरदस्ती को हो. वह एक सक्षम (शारीरिक रूप से स्वस्थ) महिला हैं, जिसकी उम्र लगभग 36 साल है.
घटना का खुलासा नहीं करना सहमतिपूर्ण कार्य को दिखाता है: कोर्ट
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि शिकायत पक्ष अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है. अदालत ने कहा, “पीड़िता की यह कहानी कि उसने डर और मानहानि के कारण किसी को भी घटना का खुलासा नहीं किया, यह सहमतिपूर्ण कार्य को दिखाता है. साथ ही यह आरोप कि जबरन कार्य किया गया है, यह महज एक मनगढ़ंत कहानी है.”