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साइबर अपराधों के खिलाफ बिहार पुलिस का ऐतिहासिक कदम: पटना में खुला अत्याधुनिक R&D सेंटर, डिजिटल सुरक्षा को मिलेगी नई धार


24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना, 23 मई 2025: डिजिटल युग में जहां हर रोज नए नवाचार हो रहे हैं, वहीं साइबर अपराधों का दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है। समाज में सेंध लगा रहे इन आर्थिक और साइबर अपराधों का सामना करना अब पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। इसी चुनौती से निपटने और एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण तैयार करने के लिए बिहार पुलिस ने एक ऐतिहासिक पहल की है। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) मोहम्मद नैय्यर हसनैन खां ने शुक्रवार को पटना में साइबर सुरक्षा एवं साइबर फॉरेंसिक के लिए एक अत्याधुनिक अनुसंधान व विकास केंद्र (R&D Centre) का विधिवत उद्घाटन किया। यह केंद्र साइबर अपराधों की जांच क्षमताओं को अभूतपूर्व रूप से सशक्त बनाने और डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में नई खोजों को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।


सामरिक साझेदारी: EOU और C-DAC का साझा विजन
आर्थिक एवं साइबर अपराधों को रोकने के लिए राज्य में एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत आर्थिक अपराध इकाई ने इस महत्वपूर्ण केंद्र की स्थापना के लिए देश की अग्रणी तकनीकी संस्था सी-डैक (C-DAC) पटना के साथ एक सामरिक साझेदारी की है। ADG नैय्यर हसनैन खां ने उद्घाटन के अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि यह अनुसंधान व विकास केंद्र अत्याधुनिक सुविधाओं और विशेषज्ञता से लैस होगा। उन्होंने कहा, “यह केंद्र हमें साइबर अपराधों की बदलती प्रकृति को समझने और उनसे प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाएगा। सी-डैक के वैज्ञानिकों की उन्नत प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता और आर्थिक अपराध इकाई के अधिकारियों के जमीनी स्तर के अनुभवों का समन्वय हमें साइबर चुनौतियों का प्रभावी ढंग से निराकरण करने में मदद करेगा।”
इस महत्वपूर्ण अवसर पर सी-डैक के निदेशक आदित्य कुमार सिन्हा, डीआईजी (साइबर) संजय कुमार, डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो, पुलिस अधीक्षक (साइबर) अमरेश डी और संयुक्त निदेशक सी-डैक रितेश आर धोटे सहित बिहार पुलिस और तकनीकी क्षेत्र के कई वरिष्ठ अधिकारी तथा विशेषज्ञ उपस्थित थे। इस साझेदारी को राज्य में साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक गेम-चेंजर के रूप में देखा जा रहा है।
चार मुख्य स्तंभों पर केंद्रित होगा केंद्र का कार्य: एक समग्र दृष्टिकोण
यह नया अनुसंधान व विकास केंद्र एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए मुख्य रूप से चार प्रमुख स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो साइबर अपराधों से निपटने की राज्य की क्षमता को बहुआयामी रूप से मजबूत करेंगे:

* उभरते साइबर खतरों पर सक्रिय अनुसंधान एवं खुफिया जानकारी: केंद्र का एक प्राथमिक कार्य नए और उभरते साइबर खतरों का निरंतर विश्लेषण करना होगा। इसमें मालवेयर, फ़िशिंग, रैंसमवेयर, डेटा ब्रीच और अन्य साइबर हमलों की पहचान, उनके पैटर्न का अध्ययन, और फॉरेंसिक विश्लेषण शामिल होगा। इस अनुसंधान से प्राप्त खुफिया जानकारी पुलिस को अपराधियों से एक कदम आगे रहने में मदद करेगी।
* स्वदेशी अनुसंधान-उपकरण एवं सॉफ्टवेयर का विकास: आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए, यह केंद्र साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में स्वदेशी उपकरण और सॉफ्टवेयर विकसित करने पर जोर देगा। यह पहल न केवल विदेशी निर्भरता को कम करेगी बल्कि भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप विशिष्ट समाधान भी प्रदान करेगी, जो साइबर अपराधों से निपटने में अधिक प्रभावी साबित होंगे।
* ए.आई. (AI) आधारित अनुसंधान के ढाँचे का निर्माण तथा साइबर अपराध का समाधान: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की बढ़ती शक्ति का लाभ उठाते हुए, केंद्र AI-आधारित अनुसंधान ढाँचे का निर्माण करेगा। इसका उद्देश्य साइबर अपराधों का पता लगाने, उन्हें रोकने और उनका समाधान करने के लिए स्मार्ट और स्वचालित प्रणालियाँ विकसित करना है। AI अपराध के पैटर्न की पहचान करने, बड़े डेटासेट का विश्लेषण करने और संभावित खतरों की भविष्यवाणी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
* पुलिस पदाधिकारियों/कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए विशेष प्रशिक्षण का संचालन: साइबर अपराधों की बढ़ती जटिलता को देखते हुए, पुलिसकर्मियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यंत आवश्यक हैं। यह केंद्र नियमित रूप से इन अधिकारियों को साइबर फॉरेंसिक, डिजिटल साक्ष्य संग्रह, साइबर कानून और नवीनतम साइबर सुरक्षा तकनीकों में प्रशिक्षित करेगा, जिससे उनकी जांच क्षमताएं बढ़ेंगी।
राष्ट्रीय स्तर पर साइबर सुरक्षा हैकाथॉन: नवाचार को मिलेगा मंच
इस केंद्र की स्थापना के साथ ही, आर्थिक अपराध इकाई और सी-डैक के संयुक्त तत्वाधान में आगामी 25-26 जून को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह एक साइबर सुरक्षा और फॉरेंसिक हैकाथॉन होगा, जिसमें पूरे देश के प्रतिभागियों को साइबर सुरक्षा और फॉरेंसिक से संबंधित समाधान विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस हैकाथॉन का मुख्य उद्देश्य अत्याधुनिक अनुसंधान, कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा देना है, ताकि उभरते साइबर खतरों के लिए व्यवहारिक और प्रभावी समाधान तैयार किए जा सकें। यह युवा प्रतिभाओं और विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करेगा ताकि वे अपनी रचनात्मकता और तकनीकी ज्ञान का उपयोग राष्ट्र की डिजिटल सुरक्षा के लिए कर सकें।
कुल मिलाकर, पटना में स्थापित यह नया अनुसंधान व विकास केंद्र बिहार में साइबर अपराधों पर लगाम लगाने, डिजिटल साक्षरता बढ़ाने और एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण तैयार करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह पहल न केवल राज्य की कानून व्यवस्था को मजबूत करेगी बल्कि आम जनता को ऑनलाइन धोखेबाजों से बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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