
24CITYLIVE/बिहार/मुजफ्फरपुर: तिरहुत रेंज के डीआईजी चंदन कुमार कुशवाहा ने बुधवार को कई एसडीपीओ और सर्किल इंस्पेक्टरों के कार्यों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान कई इंस्पेक्टरों को डांट लगाई गई।
मोतीपुर सर्किल इंस्पेक्टर बिरेश कुमार का खराब परफार्मेंस मिलने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा पूर्वी क्षेत्र के कटरा, मीनापुर समेत अन्य इंस्पेक्टरों को चेतावनी भी दी गई है।
डीआईजी कार्यालय से जो संकेत मिले है, उसके तहत खराब परफार्मेंस में जिले के कई थानाध्यक्ष और इंस्पेक्टरों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में डीआईजी ने अपराध नियत्रंण एवं विधि-व्यवस्था संधारण के साथ लंबित केसों के निष्पादन को लेकर विशेष निर्देश दिए। एसडीपीओ और इंस्पेक्टरों द्वारा किए गए पर्यवेक्षणों की भी समीक्षा की।
डीआईजी ने गुणवत्तापूर्ण जांच के साथ घटनास्थल पर जाकर समय से पर्यवेक्षण रिपोर्ट जारी करने का इंस्पेक्टर और एसडीपीओ को निर्देश दिया।
पिछले सप्ताह भी की थी समीक्षा
विदित हो कि पिछले सप्ताह डीआईजी ने लंबित केसाें के निष्पादन को लेकर समीक्षा की थी। इसमें पाया गया था कि मार्च में तिरहुत के सभी जिलों में 3528 मामले दर्ज किए गए है। इसकी तुलना में 511 अधिक 4039 केसों का निष्पादन किया गया है। इसमें और तेजी लाने के लिए डीआईजी ने एसएसपी और सभी एसपी को निर्देश दिया था।
समीक्षा बैठक में मुजफ्फरपुर के एसडीपीओ नगर टू के द्वारा सात केस, एएसपी पूर्वी पूर्वी वन के द्वारा नौ केस, एसडीपीओ पूर्वी टू के द्वारा 13 केस, एसडीपीओ सदर वन सीतामढ़ी द्वारा चार केस, एसडीपीओ सदर टू लालगंज वैशाली के द्वारा 18 केसों में प्रगति प्रतिवेदन निर्गत किया गया था।
एसडीपीओ नगर वन मुजफ्फरपुर के द्वारा मार्च में मात्र 13 केसों में पर्यवेक्षण टिप्पणी समर्पित की गई। इस पर डीआईजी ने उक्त पुलिस अधिकारियों का प्रदर्शन निम्न कोटि का पाते हुए सभी संबंधित एसडीपीओ से स्पष्टीकरण मांगा था।
वहीं, केसों के त्वरित निष्पादन एवं पर्यवेक्षण के लिए लंबित केसों की संख्या में कमी लाने के लिए प्रतिनियुक्त अतिरिक्त पर्यवेक्षी पदाधिकारियों द्वारा मार्च में किये गए कार्यों की भी समीक्षा की गई थी।
इसमें मुजफ्फरपुर सदर थाना में लंबित अविशेष प्रतिवेदित केसों के निष्पादन एवं पर्यवेक्षण के लिए प्रतिनियुक्त इंस्पेक्टर राज कुमार के द्वारा मात्र 10 पर्यवेक्षण टिप्पणी, छह समीक्षात्मक टिप्पणी एवं 35 केसों में ही अंतिम आदेश निर्गत पाया गया था।
इनका प्रदर्शन निम्न कोटि का पाते हुए इनसे अनुशासनिक कार्रवाई के विरुद्ध स्पष्टीकरण की मांग की गई थी।