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नीरा की बिक्री बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला, जीविका समूह भी करेंगे मदद



24CITYLIVE/बिहार/पटना: राज्य सरकार ताड़ के पेड़ों का सर्वेक्षण कराएगी। इसके बाद ताड़ के पेड़ों के साथ उसका रस उतारने वाले टैपर और मालिकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना के अंतर्गत यह काम किया जाएगा।

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने योजना की संभावित तिथि 15 अप्रैल निर्धारित की है। योजना के क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी मुख्यालय के पदाधिकारियों को दी गई है।

जीविका समूहों की ली जाएगी मदद

विभागीय आदेश के अनुसार, मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना में जीविका समूहों की भी मदद ली जाएगी। जीविका समूहों के साथ टैपर तथा ताड़ के पेड़ों को संबद्ध किया जाएगा। जीविका समूह के द्वारा पेड़ मालिक, टैपर और इससे जुड़े अन्य लोगों को दिए जा रहे प्रशिक्षण की मॉनिटरिंग की जाएगी।

नीरा संग्रहण की भी होगी मॉनिटरिंग

इस दौरान ताड़ के पेड़ों से निकाले जाने वाले नीरा के संग्रहण की भी मॉनिटरिंग होगी। योजना से जुड़े हित धारकों के बैंक खाते भी अपडेट कराए जाएंगे। इसके लिए विभागीय पदाधिकारियों को सप्ताह में कम से कम दो बार आवंटित जिलों का अनिवार्य रूप से भ्रमण करने का निर्देश दिया गया है।

पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन भी देंगे

अधिकारी मुख्यालय लौटने के बाद विभागीय सचिव को संबंधित तस्वीर के साथ पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन भी देंगे। सोमवार को मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना के अंतर्गत गठित राज्यस्तरीय कार्यान्वयन समिति की बैठक प्रस्तावित है। इसके पूर्व संबंधित पदाधिकारियों से दो-दो जिलों का भ्रमण कर रिपोर्ट मांगी गई है।

जुलाई तक 3.90 करोड़ लीटर नीरा उत्पादन का लक्ष्य

नीरा संवर्धन योजना का उद्देश्य ताड़ी को हतोत्साहित करना और नीरा के उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस साल अप्रैल से जुलाई के तक ताड़ के मौसम में करीब तीन करोड़ 90 लाख लीटर नीरा के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए दो लाख ताड़ के पेड़ और 20 हजार टैपर्स को चिह्नित किया जा रहा है।

सीधे बैंक में जाएगी प्रोत्साहन राशि

योजना के अंतर्गत ताड़ पेड़ के मालिक और टैपर्स को सीधे बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। ताड़ पेड़ के मालिक को दस पेड़ की टैपिंग करने पर 5850 रुपये जबकि टैपर्स को 15 हजार 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। ताड़ के पेड़ की गणना करने के लिए टैपर्स को प्रति पेड़े 30 रुपये की दर से अलग भुगतान किया जाएगा।

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