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जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षा बलों ने आतंकवादी ठिकाने का किया भंडाफोड़



24CITYLIVE/जम्मू कश्मीर/ डेस्क: कुपवाड़ा जिले में शनिवार को सुरक्षा बलों ने एक आतंकवादी ठिकाने का भंडाफोड़ कर भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया है. यहां से 5 एके-47 राइफल, 8 एके-47 मैगजीन, एक पिस्तौल, एक पिस्तौल मैगजीन, एके-47 गोला-बारूद के 660 राउंड, एक पिस्तौल राउंड और एम4 गोला-बारूद के 50 राउंड जब्त किया गया है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि विशेष खुफिया सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों ने उत्तरी कश्मीर जिले के मुश्ताकाबाद माछिल (समशा बेहक वन क्षेत्र) के सेदोरी नाला के जंगली इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया. इस अभियान के दौरान एक आतंकवादी ठिकाने का सफलतापूर्वक पता लगाया गया. इसके बाद सुरक्षा बलों ने उसे नष्ट कर दिया.

उन्होंने कहा कि ये सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता है. इस कार्रवाई ने ऐसे नापाक मंसूबों को बड़ा झटका दिया है. नागरिकों के जीवन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए संभावित खतरों को टाला है. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के लोकप्रिय पर्यटन शहर पहलगाम के पास आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे.

इस आतंकी हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम जम्मू-कश्मीर में है. इस टीम का ने नेतृत्व आईजी स्तर के एक अधिकारी कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों ने षण हमले में शामिल होने के संदेह में तीन लोगों के स्केच जारी किए हैं. तीनों की पहचान पाकिस्तानी के रूप में की गई है. इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा हैं.

पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी समूह के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है. इस हमले का मास्टमाइंड लश्कर आतंकी सैफुल्लाह खालिद को बताया जा रहा है. उसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है. ये हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मन हाफीज सईद का बहुत करीबी है.

भारत में कई बड़े आतंकी हमलों में इसका नाम आता रहा है. ये हमेशा लग्जरी कारों से चलता है. अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहता है. 5 अगस्त 2019 को संविधान में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाया गया था. इसके बाद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को कवर करने के लिए टीआरएफ का गठन किया गया था.

पाकिस्तानी सेना इस आतंकी संगठन की मदद करती है. लश्कर के फंडिंग चैनलों का इस्तेमाल होता है. साल 2019 में टीआरएफ अस्तित्व में आया था. उसके बाद से वो जम्मू और कश्मीर में लगातार आतंकी हमले कर रहा है. टीआरएफ का ‘हिट स्क्वॉड’ और ‘फाल्कन स्क्वॉड’ आने वाले दिनों में कश्मीर में बड़ी चुनौती पेश कर सकता है.

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