24CITYLIVE/पटना सिटी: फार्मासिस्टों को आर्युवेदिक कॉलेजों में ट्रेनिंग दिए जाने की घोषणा का फार्मेसी छात्रों ने विरोध जताया है। इस बावत स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार ने फरमान जारी कर डिप्लोमा इन फार्मेसी के छात्रों का व्यवहारिक प्रशिक्षण आर्युवेदिक कॉलेज में करवाने की बात कही गई है।
जिस पर फार्मेसी छात्रों ने एतराज जताते हुए कहा कि सरकार का यह शाही फरमान बिना पैर-सिर वाली बात है। छात्रों ने आक्रोश जारी करते हुए कहा कि एजुकेशन रेगुलेशन और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के विपरीत स्वास्थ्य विभाग ने पत्र जारी कर डी फार्म के छात्रों का व्यवहारिक प्रशिक्षण आर्युवेदिक कॉलेज में करने का निर्देश जारी किया है।
छात्रों का कहना है कि आर्युवेदिक, होम्योपैथिक व एलोपैथी फार्मासिस्ट अलग होते हैं। ऐसे में एलोपैथिक फार्मासिस्ट आर्युवेदिक चिकित्सा अस्पताल में क्या सीखेंगे। फार्मेसी शिक्षा को नियामक करने वाली संस्था फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के एजुकेशन रेगुलेशन 2020 के अनुसार भी डिप्लोमा इन फार्मेसी पास छात्रों को एलोपैथी फार्मासिस्टों के देख रेख में ही अपना प्रशिक्षण पूरा करना होता है। साथ ही सर्टिफिकेट पर उनका हस्ताक्षर भी होता है, जबकि आर्युवेदिक कॉलेज में ना तो एलोपैथी फार्मासिस्ट हैं और न ही एलोपैथिक दवाइयां।
ऐसे में सवाल होता है कि फार्मासिस्ट सीखेंगे क्या। मामले को लेकर छात्रों ने सचिवालय स्थित स्वास्थ्य विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी रेणु कुमारी से मिलकर ज्ञापन सौंपा। जिसमें छात्रों ने जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग करते हुए पूर्व की भांति ही प्रशिक्षण पटना मेडिकल कॉलेज एवं नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करने की मांग की।