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सोशल मीडिया में चिट्ठी हुआ वायरल; चौथी पत्नी ने CRPF जवान का खोला राज़।


24CITYLIVE/आरा: हिंदू धर्म में एक शादी को मान्यता है। लेकिन, बिहार के सीआरपीएफ ने सारी सीमाएं तोड़ते हुए एक दो नहीं बल्कि पांच-पांच शादियां की। जवान का कारनामा तब सामने आया, जब चौथी पत्नी की एक चिट्ठी सोशल मीडिया में वायरल होने लगी।

इस चिट्ठी में जवान की करतूतों के बारे में बताया है कि कैसे उसने पहली पत्नी को धोखे में रखकर, दूसरी, तीसरी, चौथी और फिर पांचवीं शादी की। जवान की। जवान का नाम हरेंद्र राम बताया गया है।

दरअसल, सोशल मीडिया में आरा कुटुंब न्यायालय की एक चिट्ठी घूम रही है, जिसमें लिखा है कि कैसे सीआरपीएफ में सिपाही हरेंद्र राम के बारे में बताया गया है कि कैसे 14 साल में उसने पांच शादी कर सबको झांसा दिया। सिपाही की इस करतूत का खुलासा उसकी चौथी पत्नी खुशबू ने किया। खुशबू को जब अपने पति के इन कारनामों की भनक लगी तो उसने शिकायत दर्ज कराई।

2008 से 2021 तक की पांच शादियां

चिट्ठी में दर्ज शिकायतों में हरेंद्र की चौथी पत्नी ने उसकी अब तक हुई सभी शादियों की जानकारी दर्ज की है। इसके हिसाब से उसने साल 2008 से लेकर 2021 के बीच में पांच शादियां की। उसने पहली शादी साल 2008 में रिंकी से की। इसके बाद उसने 2010 में कविता कुमारी, साल 2014 में अनीता कुमारी, 2017 में शिकायतकर्ता खुशबू कुमारी और अंतिम शादी 2021 में निशा कुमारी से की। खुशबू कुमारी ने सीआरपीएफ की बटालियन बी/09 को चिट्ठी लिखकर शिकायत दर्ज कराई थी। इसके ही आधार पर हरेंद्र पर विभागीय जांच हो रही है।

पांचों पत्नियां एक दूसरे से अंजान

चिट्ठी के हिसाब से सिपाही हरेंद्र नें कानूनों का उल्लंघन किया है। हरेंद्र ने इन शादियों के बारे में न तो अपनी पूर्व की पत्नियों को कोई जानकारी दी और न ही विभाग में इस बात को बताया।
विभाग ने जांच के बाद विभागीय कार्रवाई की तैयारी

विभाग ने पाया कि हरेंद्र ने अपनी पूर्व की पत्नियों के जीवित रहते हुए दूसरी शादियां बिना कोई कानूनी कार्रवाई किए की हैं। इसके लिए उसे हिंदू विवाह अधिनियम- 1955, सिविल सेवा (आचरण) नियमावली-1964 और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल अधिनियम 1949 के तहत अपराधी माना गया है।

हरेंद्र ने इन नियमों और अधिनियमों में दर्ज आदेशों और की अवज्ञाओं का उलंघन किया है। इस कारण उसके खिलाफ विभागीय एक्शन लिया जाएगा। ताकि आगे से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस तरह के कदाचार में लिप्त न पाया जाए।

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