24CITYLIVE/महाराष्ट्र: बच्चे किसी भी रूप-रंग के हों, हर हाल खूबसूरत होते हैं। मगर, आरोप है कि कुछ लोग इंसानियत को शर्मसार करने वाले काम कर रहे हैं। ये लोग छोटे बच्चों को चुराकर उनके रंग-रूप को कृत्रिम तरीकों से बदलकर बेचने का काम करते हैं। मांटुगा पुलिस ने ऐसे एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह द्वारा तीन लड़कियों और दो लड़कों को 1.5 लाख से 3.8 लाख रुपये में बेचे जाने का खुलासा हुआ है। जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरोह के लोग रंग और नैन नक्श के आधार पर बच्चों के दाम तय करते हैं। उन्हें जरूरतमंदों के हाथों बेच देते हैं। इसके लिए वे विभिन्न प्रकार के हॉर्मोंस का इस्तेमाल करते हैं, ताकि बच्चे बड़े और ‘खूबसूरत’ दिखाई दें।
निःसंतान लोगों को बेचते हैं बच्चे
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पकड़ी गईं नौ महिलाओं समेत दस आरोपियों के लिंक देशभर में होने वाले मानव तस्करी से मिले हैं। ये लोग न सिर्फ मानव तस्करी गिरोह के लिए काम करते हैं, बल्कि निःसंतान लोगों को खोजकर उन्हें चुराए गए बच्चे मुंहमांगे दामों पर बेच देते हैं। यहां तक कि पीड़ितों को वेश्यावृत्ति, भीख मांगने और अन्य शोषणकारी गतिविधियों को भी करने के लिए मजबूर करते हैं। लड़कियों को हॉर्मोंस के इंजेक्शन देकर उन्हें समय से पहले बड़ा कर बेच दिया जाता है। पुलिस को इन आरोपियों के पास से मानव तस्करी का शिकार बने बच्चों, किशोर-किशोरियों और वयस्कों की एक सूची मिली है, जिसकी जांच जारी है।
सौंदर्य के अजीब पैमाने
जांच अधिकारियों के मुताबिक, गोरे रंग की बच्चियों की कीमत 4 से 5 लाख रुपये तक वसूली जाती है, जबकि सांवले और मध्यम रंग वालों की कीमत 2 लाख से 3 लाख रुपये तक होती है। खड़ी नाक या बादाम के आकार जैसी आंखें हों तो उन बच्चों की कीमतें और अधिक होती हैं। इसलिए बच्चा चुराते वक्त किडनैपर बच्चों की आंखें, नाक और चेहरे पर भी ध्यान देते हैं। सांवले रंग की बच्चियां हों तो उन्हें देह व्यापार कराने वाले रैकेट और दिव्यांग बच्चों को भीख मंगवाने वाले गिरोह के हाथों 50 हजार से डेढ़ लाख तक में बेच दिया जाता है। इनके निशाने पर वे गरीब परिवार भी होते हैं, जो बेटियां पैदा होने पर उनकी परवरिश करने के लिए तैयार नहीं रहते हैं।
किडनैप हुई बच्ची को कर्नाटक से बचाया गया। इस मामले में दस आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपी पुलिस हिरासत में हैं, जिनसे पूछताछ जारी है।
डीसीपी रागसुधा आर, जोन 4, मुंबई पुलिस
कैसे हुआ गिरोह का खुलासा
माटुंगा पुलिस को दादर के तिलक ब्रिज के नीचे फुटपाथ पर रह रही एक महिला द्वारा एक महीने की बेटी को एक लाख में बेचने की सूचना मिली थी। जांच में पता चला कि महिला के पति को पुलिस ने एक केस में अरेस्ट कर लिया था। उसको जमानत दिलाने के लिए एक लाख रुपये की आवश्यकता थी, जो उसके पास नहीं थे। इसलिए उसने बेटी को ही एक लाख में बेच दिया। डीसीपी रागसुधा आर ने केस को खुद हैंडल किया। जांच में उन्हें अंतरराज्यीय महिला मानव तस्करी नेटवर्क का पता चला। यह नेटवर्क मुंबई, सांगली, कोल्हापुर, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, वेस्ट बंगाल और कर्नाटक समेत अन्य हिस्सों तक फैला हुआ है।
अपहृत बच्चों की कीमतें
गोरे रंग की बच्चे: 4 से लेकर 5 लाख रुपये तक
सांवले और मध्यम रंग के बच्चे: 2 से 3 लाख रुपये तक
दिव्यांग बच्चों की कीमत: 50 हजार से डेढ़ लाख तक