
24CITYLIVE/धार्मिक स्टोरी/आदर्श सिंह/पटना: भारत को आस्था और चमत्कारों का देश माना जाता है। यहां के हर मंदिर, हर मूर्ति और हर प्रतीक के पीछे कोई न कोई पौराणिक या चमत्कारी कहानी जरूर छुपी हुई है। इन्हीं अनगिनत रहस्यों में से एक है ऐसे शिवलिंग की कहानी, जिनकी लंबाई हर साल अपने आप बढ़ जाती है।
सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन इन शिवलिंगों से जुड़े चमत्कारों ने न सिर्फ भक्तों को श्रद्धा से भर दिया है, बल्कि वैज्ञानिकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। आइए जानते हैं भारत के उन 5 चमत्कारी शिवलिंगों के बारे में, जिनकी लंबाई समय के साथ लगातार बढ़ती जा रही है- और जिनकी महिमा आज भी लाखों भक्तों को प्रभावित करती है।
1. कंकेश्वरनाथ मंदिर, बिहार- हर सावन में बढ़ जाती है यहां के शिवलिंग की ऊंचाई
बिहार के नालंदा जिले में स्थित कंकेश्वरनाथ मंदिर का शिवलिंग अपने आप में एक रहस्य है। मान्यता है कि सावन के महीने में इस शिवलिंग की लंबाई कुछ इंच बढ़ जाती है। स्थानीय पुजारी और भक्तों का कहना है कि वे सालों से इस बदलाव को देखते आ रहे हैं। हर साल सावन में यहां विशेष पूजा की जाती है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं। वैज्ञानिक अभी तक इसका कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दे पाए हैं, लेकिन भक्त इसे भगवान शिव की ‘जीवित उपस्थिति’ मानते हैं।

2. मटेश्वर धाम, मध्य प्रदेश – हर साल कुछ मिलीमीटर बढ़ने वाला शिवलिंग
मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित मटेश्वर धाम एक शांत और आध्यात्मिक स्थान है, लेकिन यहां का शिवलिंग किसी चमत्कार से कम नहीं है। कहा जाता है कि जब मंदिर की स्थापना हुई थी, तब शिवलिंग की ऊंचाई महज कुछ फीट थी। लेकिन आज यह करीब 7 फीट हो गया है। हर साल इसकी ऊंचाई कुछ मिलीमीटर बढ़ जाती है, जिसे मंदिर प्रशासन बाकायदा दस्तावेज में दर्ज करता है। यहां आने वाले भक्त इसे “साक्षात् शिव” की मौजूदगी का सबूत मानते हैं।


3. गुप्तेश्वर महादेव, ओडिशा – गुफा में स्थित एक रहस्यमयी शिवलिंग
ओडिशा के कोरापुट जिले में स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है। यहां का शिवलिंग गुफा के अंदर है और स्थानीय लोगों का दावा है कि इसकी ऊंचाई साल दर साल बढ़ती जा रही है। कहते हैं कि जब पहली बार इस शिवलिंग को देखा गया था, तब यह जमीन से करीब 1 फीट ऊंचा था। अब यह 4 फीट से भी ज्यादा ऊंचा हो गया है। इसके आसपास पानी की बूंदें गिरती हैं, जिन्हें ‘भगवान का आशीर्वाद’ माना जाता है।

4. केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड – इसके पीछे भी एक बढ़ता हुआ शिवस्वरूप छिपा है
आपने केदारनाथ धाम का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मंदिर के पीछे एक जगह है जिसे ‘स्वयंभू शिवलिंग’ कहते हैं। यहां का शिवलिंग एक खुली चट्टान पर स्थित है और स्थानीय साधुओं के अनुसार, साल दर साल इसकी ऊंचाई में भी थोड़ी-बहुत वृद्धि देखी गई है। केदारनाथ के पुजारी बताते हैं कि बर्फबारी और प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद यह शिवलिंग न सिर्फ सुरक्षित बना हुआ है, बल्कि इसका आकार भी थोड़ा-थोड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इसे ‘शिव कृपा’ का जीता जागता सबूत माना जाता है।

5. श्रीश्वरनाथ मंदिर, झारखंड – जहां हर साल मापी जाती है शिवलिंग की ऊंचाई
झारखंड के गुमला जिले में स्थित श्रीश्वरनाथ मंदिर का शिवलिंग भी चमत्कारी माना जाता है। यहां मंदिर समिति हर साल सावन के पहले दिन इसकी ऊंचाई मापती है और रिपोर्ट तैयार करती है। बताया जाता है कि पिछले 20 सालों में इसकी लंबाई करीब 5-6 इंच बढ़ी है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।
विज्ञान क्या कहता है?
अब सवाल उठता है- क्या यह सिर्फ आस्था है या वाकई कोई भौतिक कारण है? कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पत्थरों का विस्तार कुछ प्राकृतिक खनिजों या भूमिगत हलचलों के कारण संभव है। लेकिन ऐसा हर मंदिर में, हर शिवलिंग के साथ नहीं होता- और यही बात इसे रहस्यमय बनाती है। वहीं, भक्तों के लिए यह वैज्ञानिक विश्लेषण ज्यादा मायने नहीं रखता। उनके लिए यह भगवान शिव का चमत्कार है और शिवलिंग की बढ़ती ऊंचाई उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति का प्रमाण है।
निष्कर्ष: आस्था के शिवलिंग जो समय के साथ ‘जीवित’ हो रहे हैं
इन चमत्कारी शिवलिंगों की कहानियां न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का भी प्रतीक हैं। ये मंदिर न केवल श्रद्धा के केंद्र हैं, बल्कि लोगों की आस्था, परंपरा और भक्ति का भी उदाहरण हैं। जब कोई पूछता है कि क्या भगवान आज भी चमत्कार करते हैं, तो इन शिवलिंगों की ओर इशारा करना ही काफी है – जो हर साल साबित करते हैं कि शिव आज भी वहां हैं, और साक्षात मौजूद हैं।