
24CITYLIVE/आदर्श सिंह/पटना: आज, 3 मई, 2025 को पूरे विश्व के साथ बिहार की राजधानी पटना में भी विश्व पत्रकारिता दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व और पत्रकारों के सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करता है। इस वर्ष का विषय, “भविष्य को आकार देना: डिजिटल युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संकट का सामना कर रही है,” डिजिटल परिदृश्य में पत्रकारिता की बदलती भूमिका और सूचना की स्वतंत्रता पर बढ़ते खतरों पर प्रकाश डालता है।
पटना के विभिन्न पत्रकार संगठनों और नागरिक समाज समूहों ने इस अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों में संगोष्ठियां, चर्चाएं और कार्यशालाएं शामिल थीं, जिनमें पत्रकारों, शिक्षाविदों और नागरिकों ने प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।
एक स्थानीय कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रकाश झा ने कहा, “आज का दिन हमें यह याद दिलाता है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता कितनी आवश्यक है। बिहार में भी पत्रकार कई चुनौतियों का सामना करते हैं, जिनमें राजनीतिक दबाव और संसाधनों की कमी प्रमुख हैं। डिजिटल युग ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है, जहां गलत सूचना तेजी से फैलती है और पत्रकारों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाते हैं।”
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति पर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में चिंताजनक रुझान दिखाई दिए हैं। हालांकि, बिहार के पत्रकारों ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया है, सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाई है, और नागरिकों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
इस अवसर पर युवा पत्रकारों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सुश्री अंकिता वर्मा, जो एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल के लिए काम करती हैं, ने कहा, “डिजिटल मीडिया ने पत्रकारिता के लिए नए अवसर खोले हैं, लेकिन इसने गलत सूचना और ट्रोलिंग जैसी चुनौतियां भी पेश की हैं। हमें इन चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी पेशेवर नैतिकता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखना होगा।”
विश्व पत्रकारिता दिवस हमें यह सोचने का अवसर देता है कि प्रेस की स्वतंत्रता को कैसे सुनिश्चित किया जाए और पत्रकारों को बिना किसी डर के अपना काम करने के लिए सुरक्षित माहौल कैसे प्रदान किया जाए। पटना के नागरिकों और बुद्धिजीवियों ने भी इस बात पर जोर दिया कि एक मजबूत और स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की नींव है और इसे हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए।
आज के दिन, हम उन सभी पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने सच्चाई की खोज में अपना जीवन समर्पित कर दिया और उन लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हैं जो आज भी अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह केवल पत्रकारों की ही नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के मूल्यों की रक्षा करे।