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पटना में सुखे नशे का कहर: सुलेशन पीकर नाबालिग अपराध की दुनिया में रख रहे कदम।


24CITYLIVE/स्टोरी रिर्पोट/आदर्श सिंह/पटना: राजधानी पटना और इसके आसपास के इलाकों में एक भयावह स्थिति सामने आई है, जहां नाबालिग बच्चे जानलेवा नशे के शिकार हो रहे हैं। सुलेशन व फेवी क्विक पदार्थ जैसे सस्ते और आसानी से किराना दुकानों एवं स्टेशनरी बुक स्टॉल उपलब्ध होने वाले सुलेशन पदार्थों का सेवन इन बच्चों के लिए मौत का खेल साबित हो रहा है। नशे की लत में डूबे ये बच्चे न केवल अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, बल्कि चोरी और अन्य अपराधों में भी लिप्त हो रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

सुखे नशे की तलब सुलेशन पीते हुए बच्चे


स्थानीय संवाद सूत्रों के अनुसार,

पटना सिटी के विभिन्न इलाकों में, खासकर झुग्गी-झोपड़ियों और रेलवे स्टेशनों के आसपास, नाबालिग बच्चों को खुलेआम सुलेशन व फेवी क्विक सूंघते हुए देखा जा सकता है। इस नशे की गिरफ्त में आए बच्चों की हालत इतनी खराब हो चुकी है।

यह नशा उन्हें इस कदर जकड़ लेता है कि वे खाने-पीने तक की सुध खो बैठते हैं और केवल नशे की तलाश में भटकते रहते हैं। यहां आने वाले सिख श्रद्धालुओं द्वारा इन बच्चों के द्वारा मांगने पर श्रद्धा वस इन बच्चों को कुछ पैसे दान स्वरूप दे दिया करते हैं जिसका उपयोग ये लोग नशा करने में लगाते है। नशे से आदि ये लोग चोरी चमारी करने लगते हैं। सरकार को चाहिए कि बाल नशा उन्मूलन के तहत इन बच्चों को बाल सुधार गृह में रख कर इन्हें नई जिंदगी देने का कार्य करे।

स्थानीय निवासी, राकेश कपूर समाजसेवी

स्थानीय निवासी, राकेश कपूर समाजसेवी ने बताया, “हमने अपनी आंखों के सामने कई छोटे-छोटे बच्चों को इस नशे की वजह से तड़पते देखा है। ये बच्चे इतने मजबूर हो जाते हैं कि नशे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। चोरी और झपटमारी की घटनाएं भी इसी वजह से बढ़ रही हैं।”
चिंता की बात यह है कि इन बच्चों को आसानी से नशीला पदार्थ उपलब्ध हो जाता है और इस पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई होती दिखाई नहीं दे रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप काश


सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप काश का कहना है कि गरीबी और जागरूकता की कमी के कारण बच्चे आसानी से नशे के जाल में फंस जाते हैं। परिवार और समाज का ध्यान न मिलने के कारण ये बच्चे गलत संगत में पड़कर नशे को अपना लेते हैं।
इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान देने और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। बच्चों को नशे से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने, नशीले पदार्थों की बिक्री पर रोक लगाने और नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना करने की मांग उठ रही है। इसके साथ ही, इन बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा की व्यवस्था करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि वे एक बेहतर भविष्य जी सकें।
पटना में नाबालिग बच्चों का नशे की गिरफ्त में आना और उनकी छोटी सी उम्र में अपराध श्रेणी में कदम होना एक मानवीय त्रासदी है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है और कई और मासूम जिंदगियां बर्बाद हो जाएंगी। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना होगा।

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